कहीं नहीं है शुद्ध और साफ़,
लोगों का
व्यवहार।
हर तरफ़
फैला है,
भ्रष्टाचार-ही-भ्रष्टाचार।
लोगों का व्यवहार।
हर तरफ़ फैला है,
भ्रष्टाचार-ही-भ्रष्टाचार।
रोक रहा होने से
जनता के सपने साकार,
काले भ्रष्टाचार का हाहाकार।
जनता के सपने साकार,
काले भ्रष्टाचार का हाहाकार।
कहाँ गए वे नियम, वे कानून,
जो संविधान ने बनाये थे?!
उन्होंने जनता के पैसे,
खाने नहीं सिखाये थे।
उन्होंने जनता के पैसे,
खाने नहीं सिखाये थे।
हमारे शहीदों ने कहा,
एक हैं सभी प्रान्त, सभी धर्म।
पर अकारण मतभेद करने में,
आती नहीं हमें शर्म।
एक हैं सभी प्रान्त, सभी धर्म।
पर अकारण मतभेद करने में,
आती नहीं हमें शर्म।
नेता डालते हैं,
सभी धर्मों में फूट
और
बात-बात में बोल कर झूठ,
लेते आम जनता को लूट।
लेते आम जनता को लूट।
हर चुनाव में होते वादे
कभी भी पूरे किए न जाते।
साल-साल कर बढ़ता जाता,
सदा पिस जाता है करदाता।
कभी भी पूरे किए न जाते।
साल-साल कर बढ़ता जाता,
सदा पिस जाता है करदाता।
मनुजता
जूझ रही मृत्यु से,
देश को लील रही महामारी।
फिर भी इनको सूझ रही,
साँसों की कालाबाज़ारी।
देश को लील रही महामारी।
फिर भी इनको सूझ रही,
साँसों की कालाबाज़ारी।
सत्यमेव जयते की भू पर,
आज सत्य रहा है हार।
भ्रम में जीता आम- आदमी,
लुटते जनता के अधिकार ।
आज सत्य रहा है हार।
भ्रम में जीता आम- आदमी,
लुटते जनता के अधिकार ।
हर तरफ़ बढ़ती महंगाई,
पर कृषि
मंत्री से पूछो,
तो उन्हें
अब तक समझ न आई।
वे कहते
हैं " क्या मैं ज्योतिषी हूँ?
जो महँगाई
कब कम होगी,
ये बताता
फिरूँ।
यह तो देश की
सरकार का हाल है,
और जनता
बेहाल है ।
पर मित्रों,
कम से कम
तुम तो रखो,
अमर जवान
ज्योति की लाज।
भ्रष्टाचार
के खिलाफ,
उठाओ
आवाज़।
इससे हम सब का भविष्य होगा उज्जवल,
आने वाले भारत को मिलेगा,
एक नया
कल।
अनंता सिन्हा
06/05/2021
पूर्णतः सामयिक कविता रची है आपने। हम भारतीयों को यही करना चाहिए।
ReplyDeleteआदरणीय सर आपके प्रोत्साहन के लिए अपका अत्यंत आभार। कृपया आते रहें व अपना स्नेह और आशीष बनाए रखें ।
Deleteबहुत खूब ♥
ReplyDeleteआदरणीया मैम, यह ब्लॉग आपकी ही प्रेरणा का सुंदर फल है। आपने जो प्रोत्साहन दिया है छठवीं कक्षा से लेकर आज तक, उसी कारण आज मैं यहाँ तक आई हूँ और आगे भी आपके आशीर्वाद से ही आगे बढ़ूँगी ।
Deleteहृदय से अत्यंत आभार , आतीं रहें व अपना आशीष बनाए रखें ।
हम भारतीय सामूहिक रूप से हर स्तर पर नैतिकता को भुला बैठे हैं|देश की इस बद से बद्तर हालत केलिए हम सब दोषी हैं|बेटा,तुमने आज के गिरते हुए नैतिक मूल्यों पर बहुत अचछी कविता लिखी है|
ReplyDeleteVery well done. Well done Ananta
Deleteप्रिय माँ व आदरणीय अंकल जी, आप दोनों को बहुत बहुत आभार।
Deleteथैंक यू माँ, तुम्हारी टिप्पणी तो वही है जो तुमने मेरी कविता सुन कर भी बोला और सुनने के बाद यहाँ आ कर पढ़ा फिट जो बोला, वही यहाँ चेपा । jokes apart लव यू ।
अंकल आपने हमेशा प्रोत्साहित करने के लिए समय निकाल है । आपका आशीष अनमोल है । हृदय से अत्यंत आभार ।
ये सच है कि हमारे नेता डालते है सभी धर्मों में फूट,
ReplyDeleteपर क्यों? क्योंकि उन्हें हमारी कमजोरी पता है !उन्हें पता है,कि हम धर्म की रक्षा के लिए आंख बंद किये तैनात रहते है और बस थोड़ा भड़काने की जरूरत होती है और हम सही गलत देखे बिना एक दूसरे पर टूट पड़ते है और वे उसी का फायदा उठाते है जिसके लिए हम जिम्मेदार है जो अत्यंत शर्मनाक और दुखद है!
कम से कम तुम तो रखो,
अमर जवान ज्योति की लाज,
भ्रष्टाचार के खिलाफ़,
उठाओ आवाज!
बहुत ही उम्दा रचना!
जब तक नहीं उठेगी आवाज तब तक सब ऐसे ही चलेगा कोई रोटी तो कोई आक्सीजन के लिए मरेगा!
हम युवाओं की सबसे बड़ी समस्या पता है क्या है, हम बस नौकरी के पीछे भागते रहते है सब कुछ नज़रअंदाज़ करके जब तक हमारे साथ कुछ अनहोनी नहीं होती हम आवाज उठाते ही कहाँ है!
प्रिय मनीषा, तुम्हारी विस्तृत और सटीक टिप्पणी से बहुत आनंद हुआ है । हृदय से अत्यंत आभार इस सुंदर प्रतिक्रिया के लिए। सच है, यदि हमें समाज या देश के लिए कुछ करना है तो हमें निजी स्वार्थ से ऊपर उठना होगा और जागरूक बनना होगा । आती रहना, तुम्हारी टिप्पणियों की प्रतीक्षा रहेगी ।
DeleteVery well written Hannu. The real truth of our country and suffering of common man. Good wook . Keep it up. God bless u.
ReplyDeleteमेरी प्यारी आंटी, आपको हृदय से खूब सारा आभार । आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया सदा आनंदित करती है । आती रहें व अपना स्नेह और आशीष बनाए रखें ।
DeleteVery nice.
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय अंकल जी । अपना आशीष बनाए रखिएगा।
Deleteबहुत ही अच्छा लिखा है आपने। आनेवाले कल के लिए एक पुरजोर आह्वान। ।।।।
ReplyDeleteबहुत-बहुत बधाई। ।।।।
आदरणीय सर, आपकी इस सुंदर उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए बहुत-बहुत आभार। अपका आशीष अनमोल है, इसे सदा बनाए रखिएगा।
DeleteVery well written Ananta. God bless you.
ReplyDeleteBest wishes
Barinder
आदरणीय अंकल जी, आपका हार्दिक आभार । अपना प्रोत्साहन व आशीष बनाए रखिएगा।
Deleteकटु सत्य व्यक्त करती बहुत ही सुंदर रचना, अनंता दी।
ReplyDeleteआदरणीया मैम, आपकी टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार पर मैं एक छात्रा हूँ आपसे आयु में बहुत छोटी हूँ। आप मुझे केवल अनंता कह कर पुकारिए।
Deleteसत्यामेव जयते का मतलब ही बदल गया है। भ्रष्टाचारी नेता और व्यापारी के लिए भ्रष्टाचार का मतलब से कोई लेना देना नहीं है। एंज greed कहा तक जाएगा, इसका कोई ठिकाना नहीं। ये कितना पैसे लूटेंगे? हमारा सॉसाययटी बीमार हो गया है।
ReplyDeleteहाय भगवान हम सबको सद बूढ़ी दो।
well meaning poem Ananta. May goddess Saraswathi be with you always.
आदरणीय अंकल जी, आपका यह स्नेहिल आशीष अनमोल है मेरे लिए । आपने सदा मुझे अपना प्रोत्साहन और आशीष दिया है। हृदय से बहुत- बहुत आभार आपकी इस सुंदर सटीक प्रतिक्रिया के लिए। अपना स्नेह इसी तरह बनाए रखिएगा ।
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteहार्दिक आभार अपका आदरणीय सर । अपना आशीष बनाए रखें ।
Deleteआज का पुरा कच्चा चिठ्ठा है आपका ये लेखन, यथार्थ और सटीक।
ReplyDeleteबहुत सही लिखा है आपने बहुत बहुत बधाई।
सस्नेह।
आदरणीया मैम, आपकी इस सुंदर उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए बहुत- बहुत आभार। अपना आशीष बनाए रखें व आते रहें ।
Deleteप्रिय अनंता , देश के समसामयिक घटनाक्रम और अवव्स्था खीज को उद्घाटित करती रचना अपने आप में विशेष है | जब देश के हालत का युवा इस तरह अवलोकन और चिंतन करते हैं तो ये समाज और देश दोनों के हित में हैं | साहित्य को सृजन की नयी थाती मिलती है | सभी ओर विहंगम दृष्टिपात करते हुए बहुत अच्छा लिखा तुमने | धर्म और सत् के प्रपंचों में उलझा आम आदमी बहुत कुछ झेलता है , यही राष्ट का दुर्भाग्य है कि आम लोगों को मच समझ नहीं आता कि वह किस जाल में उलझा है | यूँ ही लिखती हुई यशस्वी बनो | मेरा प्यार और शुभकामनाएं|
ReplyDeleteआदरणीया मैम, आपके स्नेह के लिए मेरे पास शब्द नहीं । आपकी सभी टिप्पणियों ने मेरी रचना को पूर्णता दी है पर इतने स्नेह से मेरी रचना को और अधिक निखार कर, उसे इतना समय दे कर आपने इसे अनमोल कर दिया । इस बार आभार नहीं कहूँगी ।
Deleteआपको अनेकों बार प्रणाम, आपका आशीष सदा मिलता रहे ।
This is really fantastic website list and I have bookmark you site to come again and again. Please read mine as well. birthday countdown quotes
ReplyDeleteअनंता ,
ReplyDeleteदेर से आना हुआ । कुछ माहौल ही ऐसा कि कभी कभी कुछ भी पढ़ने लिखने में मन नहीं लगता ।
देश के हाल तो तुमने लिख ही दिए । लोग कैसे ऐसे समय में भी केवल अपना ही स्वार्थ देखते हैं ।
सटीक प्रहार किया है । अच्छी रचना
सस्नेह ।
नये कल की आश में हमने अनपढ़ों को चुन लिया. जिनको न नीति आती है न ही नीतियों का अंजाम सोच पाते हैं. हमें सरकार में शिक्षित लोग चुन कर भेजने होंगे. बहुत सुंदर लिखा आपने. आपका ब्लॉग पहली बार पढ़ा बहुत अच्छा लगा.
ReplyDeleteमैंने ऐसे विषय पर; जो आज की जरूरत है एक नया ब्लॉग बनाया है. कृपया आप एक बार जरुर आयें. ब्लॉग का लिंक यहाँ साँझा कर रहा हूँ-
नया ब्लॉग नई रचना
ब्लॉग अच्छा लगे तो फॉलो जरुर करना ताकि आपको नई पोस्ट की जानकारी मिलती रहे.
कहाँ हो ? चिंतित हैं ।
ReplyDeleteआदरणीया मैम, आपके इस असीम स्नेह के लिए आभार के सारे शब्द छोटे हैं।मैं ठीक हूँ और आपको चिंतित करने के लिए आपसे क्षमा मांगती हूँ । वैसे समाचार अच्छा है, आपके आशीष से मुझे एक इंटर्नशिप मिली है (अंग्रेजी शिक्षिका के रूप में ) इन दिनों lockdown में कॉलेज का अड्मिशन रुका हुआ है । ऐसे में कुछ नया करने का सोंच रही थी तो इंटर्नशिप के लिए अप्लाइ किया । बच्चों को अनलाइन इंग्लिश पढ़ाती हूँ और खुद उनसे बहुत कुछ सीखती हूँ। पर अनलाइन क्लास के कारण ब्लॉग को बहुत समय नहीं दे पा रही हूँ । ४ घंटे अनलाइन बैठे- बैठे आँखें थक जाती हैं और मैं भी । थोड़ा काम भी नया है तो उसे ठीक से समझने में समय लग रहा है। पर अब धीरे-धीरे समय निकाल कर ब्लॉग पर वापसी करने की कोशिश कर रही हूँ । आज से शुरू किया । मुझे भी आप सबों की और आपकी विशेष प्रस्तुति और पाँच लिंक की बहुत याद आ रही है । आपकी प्रस्तुति न पढ़ पाना और मेरी प्रतिक्रियाओं पर आपका स्नेहिल आशीष न मिलना खल रहा है । आती हूँ कल । आपको पुनः प्रणाम और हाँ, इस तरह बिन बताए गायब हो जाने के लिए क्षमा चाहती हूँ ।
Delete"पर मित्रों,
ReplyDeleteकम से कम तुम तो रखो,
अमर जवान ज्योति की लाज।
भ्रष्टाचार के खिलाफ,
उठाओ आवाज़।" - हम सभी ही तो लिप्त हैं इस मुए भ्रष्टाचार में, हमारी ख़ामोशी ही हमारी लिप्तता है। हम पुरखों की तरह केवल गा कर खुश हो लेते हैं, एक आस के साथ कि - "हम होंगे कामयाब, हम होंगे कामयाब एक दिन, मन में है विश्वास ..." बस विश्वास की साँस चल रही है ... अभी जो एक-दो पढ़ पाया, तुम्हारी लेखनी में एक बात स्पष्ट झलकती है .. क्या झलकती है, ये बतलाने के लिए प्रसंवश कहना पड़ेगा कि हाई स्कूल के हिंदी के पाठ्यक्रम के तहत विनोबा भावे जी के एक आलेख- "जीवन और शिक्षण" की मूल बात अनायास याद आ गई। उन्होंने हमारी शिक्षण पद्धति की बुनियादी रचना पर एक प्रश्नचिन्ह लगाते हुए कहा था कि " संपूर्ण गैर-जिम्मेदारी से संपूर्ण जिम्मेदारी में कूदना तो एक हनुमान कूद ही हुई। ऐसी हनुमान कूद की कोशिश में हाथ-पैर टूट जाए, तो क्या अचरज!" उनके कहने का तातपर्य यह था/है कि "आखिर ऐसी शिक्षा का क्या मतलब है, जो दी तो जाती है जीवन के लिए जरूरी हर तरह की सीख या ज्ञान के नाम पर, पर जब जीवन में इन्हें आजमाने की बारी आती है, तो ये हमारी कोई मदद नहीं करते। उलटे हमें जिंदगी के बड़े सवालों और जिम्मेदारियों के आगे निस्सहाय छोड़ देते हैं।"
तुम्हारी लेखनी वही हनुमान कूद के पहले वाली दौर से ही निकल रही है .. निश्चल, निर्मल .. यथार्थ की कीचड़ से कोसों दूर वाली .. शायद ...
प्रकृति हर पल सकारात्मक रहे तुम्हारे प्रति ...
आदरणीय सर, आपका यह आशीष कितना अनमोल है मेरे लिए, मैं शब्दों में नहीं कह सकती। आपकी यह विस्तृत और स्नेहिल प्रतिक्रिया पा कर मुझे अत्यंत आनंद हुआ है। आपकी इस प्रतिक्रिया ने मेरा ज्ञान भी बढ़ाया और बहुत मार्गद्रहन मिला मुझे।
Deleteआपकी प्रतिक्रिया का देर से उत्तर देने के लिए मन से क्षमा मांगती हूँ।
इन दिनों ब्लॉग पर आने का समय नहीं मिल रहा, अपनी इंटर्नशिप के चलते व्यस्त हो गयी हूँ चुकी वो भी ऑनलाइन है। आपका आशीष इसी तरह सदा मिलता रहे।आभार के सारे शब्द आपके इस प्रोत्साहन के लिए छोटे हैं। आपको अनेकों बार प्रणाम।