किसी के मन पर आघात हुआ,
क्या वह सच्चा परिहास हुआ?
करे नष्ट किसी का स्वाभिमान,
क्या सच्ची होगी वह मुस्कान?
नित्य नया परिहास हो,
पर सदा निर्मल रहे।
ईर्ष्या, निन्दा या छल से भर कर,
नहीं किसी का उपहास बने।
वाणी में व्यंग्य न इतना घुले,
लज्जा से किसी का शीश झुके।
किसी का आत्मविश्वास टूटे,
या किसी का धैर्य छूटे।
कोई कुस्मृति याद आ जाए,
मन अवसाद से घिर जाए।
किसी के मन में ग्लानि भरे,
या किसी की एकाकी बढ़े।
परिहास सदा इतना सुख दे,
किसी रोगी को स्वस्थ करे।
किसी की चिंता हरण करे,
किसी का मन आश्वस्त करे।
किसी की भूल सुधारे,
ग्लानि न दे,
किसी अकेले की एकाकी हरे ।
किसी शत्रुता का नाश करे,
किसी मित्रता को आबाद करे।
सदा ऐसा विनोद हो,
किसी के नयन न नीर भरे।
इतना निश्छल हर हास्य हो,
कि सब के मन मुस्कान भरे।
© अनंता सिन्हा
वाह! बहुत सुंदर भावना का निश्छल प्रवाह! बधाई और आभार!!!
ReplyDeleteआदरणीय सर,
Deleteआपकी आशीष भरी प्रतिक्रिया सदा ही उत्साह बढ़ाती है। हृदय से आभार मुझे सदा प्रोत्साहित करने के लिए। आते रहें व अपना स्नेह बनाये रखें।
बहुत सुंदर सार्थक सृजन प्रिय अनन्ता। हास और परिहास की सीमा रेखा निश्चित रूप से मर्यादित होनी चाहिए। हास-परिहास जीवन में आनंद भरते हैं। पर यदि ये किसी के अंतरमन पर आघात करते हैं तो दूसरे पक्ष के भीतर ऐसा अवसाद अथवा विषाद घोल देते हैं जिससे छुटकारा पाना मुश्किल होता है तो कटु स्मृति बनकर,rrएक घाव की दुःख देता है जो भले भर जाए, पर उसका निशान हमेशा रहता है। सरल, सहज ढंग से बहुत बड़ी बात लिख दी तुमने। निरंतर आगे बढती रहो माँ शारदे का आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे सर पर रहे। हार्दिक प्यार के साथ ❤❤🌹🌹
ReplyDeleteआदरणीया मैम , आपकी अपनत्व भरी प्रतिक्रियाएं मन को उत्साह और कृतग्यता से भर देती हैं।
Deleteआपने जिस स्नेह से सदा प्रोत्साहित किया है, उसके लिए आभार के सारे शब्द कम पड़ जाते हैं। यही कामना करुँगी कि आपका आशीष मुझे सदा मिलता रहे।
सदा ऐसा विनोद हो,
ReplyDeleteकिसी के नयन न नीर भरे।
इतना निश्छल हर हास्य हो,
कि सब के मन मुस्कान भरे
सुंदर पंक्तियाँ👌👌👌👌👌👌👌
आदरणीया मैम, पुनः अनेकों बार आभार व प्रणाम।
Deleteकिसी के मन पर आघात हुआ,
ReplyDeleteक्या वह सच्चा परिहास हुआ?
करे नष्ट किसी का स्वाभिमान,
क्या सच्ची होगी वह मुस्कान?
Beautiful opening lines 👌ये प्रश्न कई बार मेरे मन में आया, पर जिस तरह से तुमने व्यक्त किया, सुन्दर ❤️ तुम्हारी हर कविता, कुछ सीख देकर जाती है.. God bless you 🙏
मेरी प्यारी आंटी, आपने सदैव उत्साह बढ़ाया है। हार्दिक- हार्दिक आभार इस सुंदर और स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए। कृपया आती रहें व अपना स्नेह बनाये रखें।
Deleteहास परिहास जीवन के बोझिल पलों के मुस्कान की चाभी है इसे किसी के मानसिक संताप की सूई न बनने दो...।
ReplyDeleteवाह्ह
कितना सुंदर सार और सार्थक संदेश है
तुम्हारी कविता में प्रिय अनंता।
लिखती रहो मेरी खूब सारी शुभकामनाएं तुम्हारे लिए।
सस्नेह।
खुश रहो।
आदरणीया मैम ,
Deleteआपका आशीष अमूल्य है मेरे लिए। हृदय से अत्यंत आभार आपके स्नेहिल प्रोत्साहन के लिए।
आती रहें व अपना स्नेह और आशीष बनाये रखें।
बहुत सुंदर
ReplyDeleteआदरणीय सर ,
Deleteहार्दिक -हार्दिक आभार आपके आशीष के लिए। कृपया आते रहें।
बेहतरीन।
ReplyDeleteहार्दिक आभार शिवम।
Deleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार (२५-०२-२०२१) को 'असर अब गहरा होगा' (चर्चा अंक-३९८८) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
--
अनीता सैनी
आदरणीया मैम ,
Deleteहार्दिक आभार इस शुभ समाचार के लिए। आपका स्नेहिल प्रोत्साहन अमूल्य है मेरे लिए। कृपया आती रहें व अपना आशीष बनाये रखें।
बहुत सुंदर रचना।
ReplyDeleteआदरणीया मैम , आपके स्नेहिल प्रोत्साहन के लिए हृदय से अत्यंत आभार। आती रहें व अपना स्नेह और आशीष बनाए रखें।
Deleteबहुत बहुत सुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय सर । अपना आशीर्वाद बनाये रखें।
ReplyDeleteसुंदर भाव लिए सार्थक संदेश देती सुंदर रचना।
ReplyDeleteपरिहास सदा कोमल भाव वाला हो न कि माखौल उड़ाने वाला सत्य कहा आपने।
सुंदर सृजन।
आदरणीया मैम,
Deleteसुंदर व उत्साह -वर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार। आप सबों की प्रतिक्रिया ही मेरी ऊर्जा है। कृपया अपना स्नेह व आशीष बनाये रखें।
हास परिहास यूँ तो जीवन का अभिन्न अंग है लेकिन इसकी भी एक मर्यादा है ।
ReplyDeleteउसी को रेखांकित करती सुंदर रचना
आदरणीया मैम,
Deleteसुंदर व उत्साह -वर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार। आप सबों की प्रतिक्रिया ही मेरी ऊर्जा है। कृपया अपना स्नेह व आशीष बनाये रखें।
सदा ऐसा विनोद हो,
ReplyDeleteकिसी के नयन न नीर भरे।
इतना निश्छल हर हास्य हो,
कि सब के मन मुस्कान भरे।
हास-परिहास की सही सीमा दिखती और सार्थकता समझाती बेहतरीन रचना
आदरणीया मैम, आपका स्वागत है मेरे ब्लॉग पर।
Deleteहार्दिक आभार इस सुंदर प्रतिक्रिया के लिए। आप आती रहा करें व अपना प्रोत्साहन दिया करें।
आप सभी बड़ों का आशिष मेरी अनमोल पूँजी है।
बहुत सुंदर
ReplyDeleteआदरणीय सर , आपका बहुत आभार मुझे प्रोत्साहित करने के लिए। कृपया आते रहें व अपना स्नेह और आशीष बनाये रखें।
Deleteअति सुन्दर कथ्य और सजन । शुभकामनाएँ ।
ReplyDeleteआदरणीया मैम, आपका स्वागत है मेरे ब्लॉग पर।
Deleteहार्दिक आभार मुझे प्रोत्साहित करने के लिए। कृपया आती रहें व अपना स्नेह बनाये रखें।
सदा ऐसा विनोद हो,
ReplyDeleteकिसी के नयन न नीर भरे।
इतना निश्छल हर हास्य हो,
कि सब के मन मुस्कान भरे।..सुन्दर और निश्छल प्रयास है आपका प्रिय अनंता ..अपने प्यारे और कोमल अहसासों को ऐसे बुनती रहो और लिखती रहो..सादर शुभकामनाएं..
आदरणीया मैम ,
Deleteआपका हृदय से अत्यंत आभार आपकी स्नेहमयी व उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए। मुझे बहुत प्रसन्नता है कि आपको रचना अच्छी लगी। कृपया आती रहें व अपना आशीष बनाये रखें।
सबसे अलग सा ही लिखती हैं आप.....अति सुन्दर
ReplyDeleteआदरणीय सर,
Deleteहार्दिक आभार आपके प्रोत्साहन भरे शब्दों के लिए। आपको रचना अच्छी लगी, मुझे बहुत खुशी हुई। कृपया आते रहे व अपना स्नेह बनाये रखें।
बहुत अच्छी है आपकी कविता । पूर्णरूपेण सहमत हूं मैं इसके भाव से ।
ReplyDeleteआदरणीय सर,
Deleteआपका प्रोत्साहन अनमोल है। कृपया आते रहें व अपना स्नेह बनाये रखें ।
सही कहा आपने, जो किसी का भी दिल दुखाए, ऐसा परिहास नहीं करना चाहिए।
ReplyDeleteआदरणीय सर, हार्दिक आभार मेरी रचना पसंद करने के लिए। कृपया आते रहें व अपना प्रोत्साहन बनाए रखें।
ReplyDeleteजी बिल्कुल हास-परिहास मर्यादित ही सही
ReplyDelete
ReplyDeleteYour poem is touching a very delicate topic, defining limit between having fun and making fun . Very well knit rhyming of well thought words .
आपका बहुत बहुत आभार आंटी । आपको रचना अच्छी लगी , मेरा लिखना सार्थक हुआ । कृपया आतीं रहें और अपना आशीष बनाए रखें
DeleteVery well done Ananta. Most beautiful written and very touching. Keep doing well
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत आभार अंकल। आपने व्यस्त होते हुए भी सद्य मेरा उत्साह बढ़ाया है। आपका आशीष अनमोल है। कृपया आते रहें व अपना स्नेह बनाए रखें ।
DeleteWonderful poem..
ReplyDeleteआदरणीय सर, सबसे पहले तो आपका स्वागत है मेरे ब्लॉग पर।
Deleteआपके इस प्रोत्साहन भरी प्रतिक्रिया के लिए बहुत-बहुत आभारी हूँ । कृपया अपना स्नेह बनाए रखें और आते रहें ।
बेहतरीन रचना बहुत अच्छी बात कही, har चीज की एक सीमा होती हैं, हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteआदरनिया मैम, आपका स्वागत है मेरे ब्लॉग पर। आपके इस प्रोत्साहन भरी टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार। कृपया आती रहें व अपना स्नेह और आशीष बनाए रखें ।
Deleteपरिहास सदा इतना सुख दे,
ReplyDeleteकिसी रोगी को स्वस्थ करे।
किसी की चिंता हरण करे,
किसी का मन आश्वस्त करे।
किसी की भूल सुधारे,
ग्लानि न दे,
किसी अकेले की एकाकी हरे ।
किसी शत्रुता का नाश करे,
किसी मित्रता को आबाद करे।
बहुत सुन्दर सटीक एवं सार्थक सृजन प्रिय अनंता जी!
हास परिहास अपनी सीमा में रहकर ही होना चाहिए
बहुत ही लाजवाब सृजन
वाह!!!
Bahut sundar bhavna.. wish Bhagwanji hum sab ko sadhbuddhi aur sauhadrya dein.
ReplyDeleteअच्छी जानकारी !! आपकी अगली पोस्ट का इंतजार नहीं कर सकता!
ReplyDeletegreetings from malaysia
द्वारा टिप्पणी: muhammad solehuddin
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