यदि तुम मुझ से मित्रता करना,
तो केवल मित्रता के लिए करना।
मुझे मेरी अच्छाइयों और बुराइयों के साथ अपनाना,
हाँ, बाद में तुम मेरी बुराइयाँ सुधार देना।
तुम मुझसे मित्रता इसलिए मत करना,
क्यूँकि मैं हिंदी में अच्छी हूँ।
क्यूंकि यह जान कर तुम मुझ से मित्रता तोड़ दोगे,
मैं गणित में बहुत ही बुरी हूँ।
तुम मुझ से मित्रता मेरी सहायता मांगने के लिए मत करना,
ना ही मेरी सहायता करने के लिए करना।
यदि मुझ से मित्रता करना,
तो उसे कभी मत तोड़ना।
यदि तुम मुझ से मित्रता करना,
तो मुझे मेरी भूल ज़रूर बताना,
मेरा गलत काम में साथ मत देना।
मुझे टूटने मत देना ,
मुझे भटकने मत देना,
मुझ पर संदेह मत करना ,
मुझे हमेशा क्षमा करना ,
और मुझ पर अपनी मित्रता का अधिकार हमेशा जताना।
हम जब भी मित्रता करेंगे,
उस स्नेह के लिए करेंगे जो हम एक -दुसरे को देंगे,
उस आनंद के लिए जो हम एक साथ समय बिता कर पायेंगे,
उन खेलों के लिए जो हम एक साथ खेलेंगे ,
उस विनोद के लिए जो हम एक साथ करके हँसे- हंसाएँगे,
उस मानसिक बल के लिए जो हम एक -दुसरे से पाएँगे,
उस साथ के लिए जो हम सदा निभायेंगे।
© अनंता सिन्हा ।
Very nice.Keep it up
ReplyDeleteआदरणीया मैम,
Deleteआपको तो ऐसे ही पहचान जाती हूँ। जब गुरु के आशीष से शुभारम्भ हो तो सब कुछ शुभ जाना ही है। मेरी सभी सफलताएँ आपके अथक सहियोग और स्नेह का ही परिणाम है। आती रहिएगा हमेशा, वयापक आशीष अनमोल है।
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (22-11-2020) को "अन्नदाता हूँ मेहनत की रोटी खाता हूँ" (चर्चा अंक-3893) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
--
आदरणीय सर,
Deleteसादर प्रणाम। आपका यह प्रोत्साहन अमूल्य जी मेरे लिये, इतना बड़ा अवसर देने के लिए आपका हृदय से अत्यंत अत्यंत आभार। पुनः प्रणाम। कृपया आते रहें और अपना आशीष बनाये रखें।
Superb yaar
ReplyDeleteप्यारी अन्नू, थैंक यू । तुम भी superb हो मेरी दोस्त। ये कविता तुम्हारे जैसे दोस्तों के लिए ही लिखी।
Deleteदिल को छूती भावाभिव्यक्ति
ReplyDeleteगज़ब
आदरणीया मैम, सादर प्रणाम।
Deleteआपका यह"गज़ब" मेरे लिए पुरस्कार की तरह है। मुझे प्रोत्साहित करने के लिये हृदय से आभार आपका। आपका आशीष अमूल्य है मेरे लिए, अपना स्नेह सदा ऐसे ही बनाये रखियेगा।
सुन्दर सृजन
ReplyDeleteआदरणीय सर,
Deleteआपको रचना अच्छी लगी, मुझे बहुत खुशी है इस बात की। मवरे ब्लॉग पर आ कर मुझे प्रोत्साहित करने के लिये हृदय आभार। कृपया आते रहें व अपना स्नेह व आशीष बनाये रखें।
बेहतरीन रचना।
ReplyDeleteआदरणीया मैम, प्रणाम। बहुत बहुत ख़ुशी है की आपको मेरी रचना अच्छी लगी। मेरा उत्साह बढ़ाने के लिए हृदय से आभार। कृपया आती रहें और अपना स्नेह व आशीष बनाये रखें।
Deleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 22 नवंबर नवंबर नवंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteआदरणीया मैम, प्रणाम। आपकी इस शुभ व् सुंदर टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार। देरी से जवाब देने के लिए क्षमा चाहती हूँ। आपका हृदय से आभार है की आपने मुझे इतना बड़ा अवसर दिया। कृपया आतीं रहें और अपना स्नेह व आशीष बनाये रखें।
Deleteबहुत सुंदर रचना।
ReplyDeleteआदरणीया मैम , आपका हृदय से आभार व आपको सादर नमन। बहुत ख़ुशी है की आपको रचना अच्छी लगी। कृपया आते रहें व अपना स्नेह व आशीष बनाये रखें।
Deleteबहुत खूब लिखती हो अनंता कि... यदि तुम मुझ से मित्रता करना,
ReplyDeleteतो मुझे मेरी भूल ज़रूर बताना,
मेरा गलत काम में साथ मत देना।..वाह
आदरणीया मैम, प्रणाम। । मेरा उत्साह बढ़ाती हुई इस सुंदर प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार। कृपया आतीं रहें और अपना स्नेह व आशीष बनाये रखें।
Deleteबहुत ही ख़ूबसूरती से कहा।मन को छूती अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteहर बंद सराहनीय।
सादर
आदरणीया मैम, प्रणाम। आपका यह स्नेहभरा प्रोत्साहन अमूल्य है। आपको कविता इतनी अच्छी लगी, मुझे बहुत ख़ुशी है इस बात की। कृपया आती रहें व अपना आशीष बनाये रखें।
Deleteसुन्दर रचना।
ReplyDeleteआदरणीय सर , आपका हृदय से आभार व आपको सादर नमन। बहुत ख़ुशी है की आपको रचना अच्छी लगी। कृपया आते रहें व अपना स्नेह व आशीष बनाये रखें।
Deleteवाह बहुत बढ़िया। सुंदर सृजन।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका शिवम।
Deleteमेरी प्यारी अनंता, जब लिखती हो दिल से लिखती हो, और इस कारण हमारे दिल तक पहुंचती हो।
ReplyDeleteLots of love and good wishes for great and greater writings in days to come ❤️
मेरी प्यारी आंटी, आपकी प्यारभरी टिप्पणी पाकर मन सदा ही आनंदित हो जाता है, आपका आशीष अमूल्य है मेरे लिए। इसी तरह सदा आती रहें व अपना स्नेह और आशीष बनाए रखें।
Deleteतुम्हारी भारती aunty ❤️
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर और संदेश देती हुई रचना..।मित्रता के संदर्भ में बिल्कुल सही तथ्य..।
ReplyDeleteआदरणीया मैम, प्रणाम। मेरा उत्साह बढ़ाने के लिए हृदय से आभार । आपको कविता इतनी अच्छी लगी, मुझे बहुत ख़ुशी है इस बात की। कृपया आती रहें व अपना आशीष बनाये रखें।
ReplyDeleteप्रिय अनंता,
ReplyDeleteआपकी यह रचना पढ़कर तो मैं आपकी कायल हो गई, आपने मुझे ही नहीं, कितनों को अपना बना लिया होगा यह लिखकर !
आपकी रचनाओं में जो सरलता है उससे आपके निर्मल हृदय और मासूमियत की झलक मिलती है। आजकल हम लोग जो अपनी रचनाओं में कठिन और क्लिष्ट भाषा एवं गूढ़ रहस्यमय शब्द शिल्प का प्रयोग करते हैं, उससे किसी को कुछ समय के लिए चमत्कृत तो अवश्य कर सकते हैं परंतु हमेशा के लिए याद नहीं रह सकते। आज के हिंदी पाठक को अपना बनाने के लिए पहली शर्त है भाषा की सरलता और दूसरों से हटकर लिखने की शैली जो आपमें नजर आती है। लिखती रहो। बहुत सा स्नेह।
आदरणीया मैम, सादर प्रणाम। आपकी प्रतिक्रिया ने तो मुझे प्रसन्नता , भावुकता , संकोच कृतज्ञता, सब कुछ एक साथ ही अनुभव करा दिया। आपकी यह आशीष भरी टिप्पणी मेरे लिए अमूल्य है। आपके इस स्नेहिल प्रोत्साहन के लिए हृदय से अत्यंत अत्यंत आभार और आपको पुनः प्रणाम। आप हमेशा आती रहें और अपना स्नेह व आशीष बनाये रखें।
Deleteएक परिपक्व लेखन। हरी उम्मीदों को एक लड़ी सी। भावों की बहती झड़ी सी।
ReplyDeleteआदरणीया मीना शर्मा जी ने पहले ही बहुत कुछ लिख दिया है। मेरी भावनाएँ भी इनमें शामिल हैं।
बहुत-बहुत शुभकामनाएँ...
आदरणीय सर , सादर प्रणाम। सब से पहले आपका हार्दिक स्वागत है मेरे ब्लॉग पर। इस प्यारी काव्यात्मक प्रतिक्रिया के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत आभार। आप के दो शब्द प्रोत्साहन भी मेरे लिए आशीष हैं। मुझे बहुत ख़ुशी है की आपको मेरी कविता अच्छी लगी।
Deleteमुझे टूटने मत देना ,
ReplyDeleteमुझे भटकने मत देना,
मुझ पर संदेह मत करना ,
मुझे हमेशा क्षमा करना ,
और मुझ पर अपनी मित्रता का अधिकार हमेशा जताना। अत्यंत उदात्त भावना की सुभग अभिव्यक्ति। माँ सरस्वती का आशीष आप पर बना रहे और आप खूब आगे बढ़े।
आदरणीय सर , सादर प्रणाम। मुझे अपना आशीष देने के लिए अत्यंत आभार। आपका प्रोत्साहन मेरे लिए अमूल्य है। कृपया आते रहें और अपना आशीष बनाये रखें।
Deleteबहुत बढ़िया। मित्रता हो या ना हो, लिखते रहिए। साहित्य से मित्रता जरूर हो जाएगी।
ReplyDeleteआदरणीय सर,सादर नमन। आपका प्रोत्साहन मेरे लिए अमूल्य है, कृपया आते रहें व अपना स्नेह बनाये रखें।
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteआदरणीय सर,सादर नमन। आपका प्रोत्साहन मेरे लिए अमूल्य है, कृपया आते रहें व अपना स्नेह बनाये रखें।
Deleteउम्दा ��
ReplyDeleteआदरणीया मैम, सादर नमन। आपका प्रोत्साहन मेरे लिए अमूल्य है, कृपया आते रहें व अपना स्नेह बनाये रखें।
ReplyDeleteप्रिय अनन्ता, मैत्री पर तुम्हारा चिंतन गज़ब का है. निश्चित ही मित्रता एक ऐसा संस्कार है, जिसमें स्वार्थ और लालच के लिए कोई स्थान नहीं होता और होना भी नहीं चाहिए. मित्र को इतना निर्मल उद्बोधन एक कवि मन का ही हो सकता है. गोस्वामी तुलसी दास जी ने भी कहा है कि सच्चे मित्र ---- --- गुण प्रकटहिं अवगुणहिं दुरावा------- अर्थात केवल गुणों को प्रकट करते हैं , जो अवगुण होते हैं उन्हें अनदेखा करते हैं . जहाँ इस प्रकार के मैत्री
ReplyDeleteसंस्कार का लोप हो जाता है वहाँ दोस्ती की नींव कमजोर पड़ जाती है. एक सच्ची दोस्ती की तमाम अपेक्षाओं को उद्घाटित करती रचना के लिए बहुत बहुत शुभकामनाएं और हार्दिक स्नेहाशीष. खूब लिखो और उत्तम रचनाधर्मिता का निर्वहन करो. ❤❤🌹🌹
Amazing poem and great message for friendship.
ReplyDeleteनिशब्द करते सपष्ट भाव हृदयस्पर्शी पंक्तियाँ...बहुत-बहुत शुभकामनाएँ...
ReplyDeleteबहुत बहुत सुन्दर सराहनीय रचना | कविता की कविता , संदेश का संदेश | वाह
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