करती हूँ मैं वंदना नत सिर बारंबार,
मुझे दें परमात्मन नित मंगल शुभ कार्य।
दोनों कर ये जोड़ कर करती हूँ अनुरोध ,
प्रेम की सरिता बहे , मिटे क्रोध- प्रतिशोध।
संशय वृत्ति मिटाइये , दीजिये विनय का दान ,
सब के मन विश्वास बढ़े, विसर्जित हो अभिमान।
क्षमा सभी को कर सकें हम मन से घृणा को त्याग,
भीतर कभी न भस्म करे हमें द्वेष की आग।
संबंधों को जोड़ कर , कीजिये यह उपकार,
अपनों का संग दीजिये, एकाकी उतारें पार।
कुसंग से सदा बचाइए, दें सच्चे मित्रों का संग ,
दीपावली में दीप जलें , बरसे होली में रंग।
महावीर रघुवीर - दूत, मंगल मूर्ती रूप ,
प्राप्त करूं मैं आपको अपने भ्राता स्वरुप।
पूज रही हूँ आपको अपना अग्रज मान,
रक्षा मेरी कीजिये मेरे प्रिय हनुमान।
©अनंता सिन्हा
बहुत ही प्यारी विनती की है तुमने अपने भैया हनुमानजी से|वे सदैव तुम्हारे साथ है और तुम्हारी रक्षा कर रहे हैं|
ReplyDeleteप्यारी माँ,
Deleteसदा की तरह पहली प्रतिक्रिया तुम्हारी। माँ को तो कोई क्या धन्यवाद दे सकता है, तुम्हारी पहली प्रतिक्रिया हो तो सब कुछ शुभ जाना ही है, अच्छा है, इस पोस्ट के भाग्य सँवर गए।😂😂
बहुत ही प्यारी विनती की है तुमने अपने भैया हनुमानजी से|वे सदैव तुम्हारे साथ है और तुम्हारी रक्षा कर रहे हैं|
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteVery nice��
ReplyDeleteहृदय से आभार अंकल। अपना स्नेह व आशीष बनाये रखियेगा।
DeleteBeautifully written Ananta. Lovely words on the occasion of Raksha Bandhan.
ReplyDeleteGod bless you with success and an indefinite supply of words to keep carving
beautiful poetry.
मेरी प्यारी सविता आंटी!!! मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है। मुझे ज्ञात है कि आप ओहल भी आ चुकी हैं पर टिप्पणी नहीं दे पा रहीं थीं। आज आपकी टिप्पणी देख कर अत्यंत प्रसन्नता हुई। मुझे बहुत खुशी है कि आपको रचना पसंद आई। आपका आशीष भुत्वही अमूल्य है। आप आती रहिये और मुझे अपना स्नेह व आशीष देती रहिये।
DeleteVery well written Anantha.. God bless u kiddo.
ReplyDeleteआपका हृदय से आभार। अच्छा लगा आपको रचना पसंद आयी।अपना स्नेह व आशीष बनाये रखियेगा और आते रहिएगा। मुझे और भी प्रसन्नता होगी यदि आप मुझे अपना नाम बताएं।
Deleteहृदय से आभार।
A poem from the heart Ananta 👏🏻👏🏻
ReplyDeleteKeep up the good work 💕
मेरी प्यारी आंटी,
Deleteसब से पहले तो मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है। मुझे बहुत खुशी है को आपको मेरी कविता अच्छी लगी। हृदय से आभार आपका। अपना स्नेह व आशीष वनाये रखियेगा, आती रहिएगा।
महावीर रघुवीर - दूत, मंगल मूर्ती रूप ,
ReplyDeleteप्राप्त करूं मैं आपको अपने भ्राता स्वरुप।
पूज रही हूँ आपको अपना अग्रज मान,
रक्षा मेरी कीजिये मेरे प्रिय हनुमान।
बहुत सुंदर शब्दवाली वीर बजरंगी की अभ्यर्थना में प्रिय अनंता |इस उम्र ऐसी श्रद्धा में पगी रचना अपने आप में बहुत अतुलनीय है | लिखती रहिये और आगे बढ़ती रहिये | मेरी शुभकामनाएं और प्यार |
आदरणीया मैम,
Deleteसुबह सुबह उठकर आपका आशीष मिला। दिन बन गया।मुझे बहुत खुशी है कि आपको यह छोटी सी प्रार्थना अच्छी लगी। आशीष और स्नेह के लिए तो कोई क्या आभार प्रकट कर सकता है?! आपका मेरे प्रति स्नेह सदैव हृदय को छू जाता है। हृदय से आभार।
बहुत सुंदर सृजन
ReplyDeleteआदरणीया मैम,
Deleteबहुत खुशी है आपको मेरी यह छोटी सी प्रार्थना अच्छी लगी। अपना स्नेह व आशीष बनाये रखियेगा, आती रहिएगा। हृदय से आभार।
देर से आने के लिए माफी 🙏
ReplyDeleteप्यारी Ananta, as always, another master stroke! सुन्दर हृदय की छवि, सुन्दर अनुभूति ❤️ My blessings to you.. Rise and shine!
Bharti aunty 😙
मेरी प्यारी आंटी,
Deleteमाफ़ी का तो कोई प्रश्न ही नही है, छोटों से तो वैसे भी कायम नहीं मांगी जाती। आपका आशीष सुबह सुबह मिला,इस से शुभ और सुखद बात मेरे लिये भला क्या हो सकती है?!
आप इसी प्रकार अपना स्नेह देती रहिये और आती रहिये।
इतनी प्यारी कविता सुनकर हनुमानजी आपको कंधे पर बैठा कर घूमेंगे।। बहुत मासूम विनती है ।।
ReplyDeleteGod bless you
प्यारी आंटी,
Deleteआपका इतना प्यारा सा आशीष पा कर बहुत अच्छा लगा।
मुझे प्रसन्नता है कि आपको मेरी यह प्रार्थना अच्छी लगी।
अपना आशीष बनाये रखियेगा, आते रहिएगा।
हृदय से आभार।
करती हूँ मैं वंदना नत सिर बारंबार,
ReplyDeleteमुझे दें परमात्मन नित मंगल शुभ कार्य। ,,,,,,,,बहुत सुंदर रचना ।
बहुत सुंदर प्रभु वंदना
ReplyDelete