अब देखो मैं कहां नहीं हूं।
मेरा विराट स्वरूप देखो,
मेरा पर्वताकार रूप देखो ।
मुझे में धरती आकाश देखो,
मेरा दिव्य प्रकाश देखो।
मेरी उन्नत ललाट देखो,
मेरे दशों ये हाथ देखो।
मेरे इन्हीं करों में शंख देखो,
वेद पुराण असंख्य देखो।
मेरा रूप तनिक विक्राल देखो,
हाथों में गदा, खड्ग और ढाल देखो।
हाथों में अग्निकुंड और भाल देखो,
मुझ में ही सारे काल देखो।
हाथों में निषंग और चाप देखो,
मुझ में भस्म होते सब पाप देखो।
मुझे अपने यत्र तत्र देखो,
मेरे विलग रूप सर्वत्र देखो।
सुदर्शन चक्र और त्रिशूल देखो,
मुझ में ही सृष्टि का मूल देखो।
मैं ही प्रभात, मैं ही निशा,
मैं आठो प्रहर चारों दिशा।
मिट्टी भी मैं, मीनार भी हूँ,
मैं ही सार नि:सार भी हूँ।
मैं सगुण और साकार हूँ,
मैं निर्गुण और निराकार हूँ।
मैं सगुण और निराकार भी हूँ,
मैं निर्गुण और साकार भी हूँ।
मैं ही प्रत्यक्ष, मैं ही परोक्ष,
मैं ही बंधन और मैं ही मोक्ष।
लेता जन्म सकल संसार मुझ में,
होता महासंघार मुझ में।
ज्वालामुखी और चक्रवात,
आँधियाँ, झंझारवात।
सृष्टि का सृजन और लय भी मैं हूँ,
आने वाला महाप्रलय भी मैं हूँ।
कंकर भी मैं हूँ, भयंकर भी मैं हूँ,
एकादश रुद्र शंकर भी मैं हूँ।
कल्प, युग मनोवन्तर भी मैं हूँ,
भीतर झांको, तुम्हारे अंतर में मैं हूँ।
यूँ तो मैं सारे संसार को नृत्य कराता हूँ,
पर प्रेम पाश में बंध जाता हूँ,
भाव से खिंच कर आता हूँ,
भक्ति के आगे झुक जाता हूँ।
अब अपना भय संकोच त्यागो,
जन्म अपना सुफल जानों,
मुझ में मिटता सकल परिताप देखो,
विलीन होता शोक सन्ताप देखो।
यह देखो क्रोध का अब मरण,
यह देखो ग्लानि का हरण,
मुझ में सभी सम्बन्ध देखो,
जीवन के हर अनुबन्ध देखो।
मेरा शाश्वत संग देखो,
लो मित्रता भी अभंग देखो,
एक अचल अवलम्ब देखो,
शुभ लाभ का आरम्भ देखो।
यह देखो संकट का हरण,
यह देखो व्याधि का शमन।
घृणा द्वेष का अंत देखो,
मुझ में प्रीति अनंत देखो।
मिटते सभी अपवाद देखो,
मुझ में मधुर संवाद देखो।
अपनी एकाकी का नाश देखो,
शत्रुता का विनाश देखो।
जीवन का हर रंग देखो,
वीना और सारँग देखो,
डमरू और करताल देखो,
मुझ में सप्त सुर और ताल देखो।
मुझ में देखो असंख्य रामायण,
मुझ में देखो असंख्य कृष्णायण।
मुझ में देखो अनंत हरि- कथा,
मुझ में ही देखो भक्ति अथाह।
मेरा दृढ़ विश्वास देखो,
संशयों का नाश देखो।
पूरी होती अपनी आस देखो,
जीवन का उल्लास देखो।
मुझ में ज्ञान का भंडार देखो,
अविद्या का संघार देखो।
साहस का संचार देखो ,
भय दुर्बलता का संघार देखो।
मेरा हृदय उदार देखो,
वक्ष-स्थल विशाल देखो।
मेरे हृदय में सिया राम देखो,
करुना-निधान सुख-धाम देखो।
थमते द्वंद संग्राम देखो,
इस जग का विश्राम देखो।
मुझ में विनय सम्मान देखो,
विसर्जित होता अपना अभिमान देखो।
क्षमायाचना और क्षमादान देखो,
प्राणिमात्र का कल्याण देखो।
फिर भी यदि मन किंचित सभय हो,
तो मेरे इन चरणों को देखो,
त्रास के भक्षण को देखो,
अपने संरक्षण को देखो।
इनमें शन्ति का वास देखो,
लो इनमें अपना भी निवास देखो,
मेरी करुणा मेरा वात्सल्य देखो,
अब मेरा चांचल्य देखो।
तुम मेरे उस निर्मल स्वरूप को देखो,
तुम मेरे बालरूप को देखो।
देखो मुझे जैसे तुमने भजा है,
चंदन का तिलक माथे पर सजा है।
मेरा सौहार्द मेरी प्रीति देखो,
अपने भ्राता महावीर देखो।
©अनंता सिन्हा
12. 10. 2017
Fantastic. Absolutely Fantastic.
ReplyDeleteIt is more than a poem. It is a prayer.
Thank you Mamma. You are my first visitor.
DeleteHope this prayer brings health and happiness in everyone's life who reads it and who doesn't read it too .
Very very beautifully written Ananta..Bhaav aur shabd donon hi rochak hain..Bajrangbali ko is swaroop me dekhna hi vilakshan hai!
ReplyDeleteThank you so oooo much bhaiya. Haan, main bhi maanti hun ki maine yah kavita likhi nahin, hanuman ji ne swayam llikh vaayi hai.
DeleteAlso please keep visiting my blog as I will continue to upload more and more.
बहुत अच्छी कविता। अनंता बहुत बहुत बधाई। और भी कविताएं लिखिये।
ReplyDeleteVery Beautifully expressed ❤️ You are Blessed and always stay blessed.
ReplyDeleteधन्यवाद।अपनी शुभ कामनाएं और अपना स्नेह सदैव बनाये रखिये और मेरे ब्लॉग पर आते रहिएगा
Deleteक्या आप प्राजक्ता आंटी हैं?
DeleteWow one can't express so detailed without observing passionately for Hanuman. It was not only poetic but informative to me. Well expressed. Keep writing Kavyata!!!! :)
ReplyDeleteआंटी , आपका बहुत बहुत धन्यवाद। अपना स्नेह व आशीष बनाये रखियेगा और आती रहिएगा। और हाँ, मेरा भी मानना है कि यह स्तुति हनुमान जी ने स्वयं ही मुझसे लिखवायी है।
DeleteSuper Awesome Ananta loved it poetry
ReplyDeleteSpeechless! I am 🙏 you are an amazing poet and the choice of every word is perfect! Ananta, I am so happy to read this standard of language that I will be reciting this in my club very soon.. Of course with credits to you ❤️ God bless you and bless you to continue this सेवा of my मातृभाषा
ReplyDeleteआपकी इतनो सुंदर प्रतिक्रिया पढ़ कर मुझे बहुत आनंद मिला। अपने स्नेह व आशीष के लिए धन्यवाद। मुझे बहुत खुशी है कि आप मेरी यह कविता अपने क्लब में शेयर करके एयर लोगों तक पहुंचने का पर्यटन करेंगे। यदि आपका परिचय मिल जाये तो मैं आभारी रहूंगी।
DeleteSuper fabulous !!!! Something I know from before. You are so gifted and so inspiring !! MashaAllah great !! May you achieve greater achievement nad finesse in all that you write and do. Love you so😍🌹you are a star🤩🤩
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत धन्यवाद मासीजान। अपना सबह और आशीष बनाए रखियेगा। मेरी और सभी मासिजान, मामोजान और मामी जान को भी सुनियेगा।
DeleteBeautifully expressed... this is a complete prayer!
ReplyDeleteYou are so talented Ananta... blessings and love to you beta, keep shining and excelling and surprise us with these wonderful poems!
बहुत प्यारी प्रतिक्रिया। अपना आशीष व स्नेह बनाये रखने के लिए धन्यवाद। आपके शब्दों बे नेरा उत्साह बढ़ाया है और मुझे प्रेरित किया है। मेरे ब्लॉग पर आते रहिएगा।
DeleteSo beautifully written! Your love for Lord Hanuman shines through your words. May he always bless you and protect you. You are a talented child. God bless!
ReplyDeleteRujuta Kelkar
आपका बहुत बहित धन्यवाद आंटी। अपना आशीर्वाद व स्नेह बनाये रखियेगा हर मेरे ब्लॉग पर आती रहिएगा।
Deleteमैं और भी कविताएं डालती रहूंगी, आपको जानकारी मिल जाएगी
Hey....very powerful and peaceful way to shrug our stress from find....God bless you
ReplyDeleteSukhvinder singh
Deleteअंकल आपका बहुत बहुत धन्यवाद। मुझे खुशी है कि मेरी रचनाओं ने किसी का मन शांत और सुखी किया।
Deleteवास्तव में यह श्रेय श्री हनुमान जी को जाता है जिन्होंने मुझ पर यह जरिप कि की मैं उनकी स्तुति कर पायी।
ReplyDeleteHey....very powerful and peaceful way to shrug our stress from mind....God bless you
Ananta you have presented worlds 1st superman Hanumanji in such a simple way that any one can relate with him.
ReplyDeleteHe is my best freind too.
👌😊
उर्मिलाआंटी, आपका बहुत बहुत धन्यवाद। अपना स्नेह और आशीर्वाद बनाये रखियेगा और मेरे ब्लॉग पर आते रहियेगा।
DeleteVery beautifully written . I really enjoyed reading. U have been reflecting ur great love Lord Hanuman. U are as innocent as ur Hanuman my dear Hannu. Love you sweetheart. Always stay blessed.
ReplyDeleteThank you for such lovely words of encouragement and blessings. I am truly touched. Please be kind enough to mention your name in the comment box so that I may know you
DeleteAti Sundar, beta. Yeh poem nahin, stuti hai Hanumanji ki.May Lord Hanuman bless you always. Bahut likho aur achcha likho!!
ReplyDeleteमाँ, तुम्हारा बहुत बहुत धन्यवाद। तुम मेरी पहली प्रेणा स्रोत हो और मेरी सभी कविताओं और कहानियों की पहली श्रोता। लव यू,😙😘😘😘😘
DeleteAnanta my compliments to you for writing such a beautiful poem.on Hanumanji Your infinite love and devotion will surely sail you this sansara God n Guru bless you
ReplyDeleteआपके सुंदर शब्दों एवं आशीष के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। अपना स्नेह मुझ पर बनाये रखियेगा और आते रहिएगा। आपके शब्दों ने मेरा उत्साह भी बढ़ाया और संकोच भो दिया क्योंकि इस स्तुति को लिखने में मेरी योग्यता नहीं, हनुमान जी की कृपा को श्रेय जाता है।
Deleteआपके सुंदर शब्दों एवं आशीष के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। अपना स्नेह मुझ पर बनाये रखियेगा और आते रहिएगा। आपके शब्दों ने मेरा उत्साह भी बढ़ाया और संकोच भो दिया क्योंकि इस स्तुति को लिखने में मेरी योग्यता नहीं, हनुमान जी की कृपा को श्रेय जाता है।
DeleteAttributes of hanumaaanji are so well expressed using each word very carefully... lovely poem...m always proud of u
ReplyDeleteआपका भर बहुत धन्यवाद। अपना स्नेह व आशीष बनाये रखियेगा। हाँ, यह स्वयं हनुमान जी की ही कृपा है कि मैं उनका वर्णन कर पायी, उनके कृपा के बिना अम्भव नहीं था।
DeleteBeautifully written. Thoroughly enjoyed reading every word. You have brought out the powerful spiritual light. Almost a prayer. God bless you my dear. Keep writing.
ReplyDeleteआंटी अपने आशीष के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद।इस स्तुति को लिखने में मेरी योग्यता कोनहीं श्री हनुमान जी की कृपा को श्रेय जाता है। आप अपना आशीष बनाये रखियेगा और आती रहिएगा।
DeleteWell done Ananta! God Bless you beta
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद। अपना स्नेह व आशीष बनाये रखियेगा और आते रहिएगा
DeleteDear Ananta,
ReplyDeleteTum itni badi kab ho gayi....you have left behind bade bade kabi...shabdo or bhavnao ka itna sundar chayan....i m so very proud of you....tum bahut upar tak jaogi...meri sari blessings tumhare saath hain
Love Dipti Aunry
मेरी प्यारी सी आंटी, आपके आशीष और प्रोत्साहन के लिये हृदय से आभार।
Deleteपरन्तु कवियों को पीछे छोड़ने में तो बहुत समय है। अभी तो मुझे अपने देश के कवियों को पढ़ना और समझना है।
और यह भी बात है की इस स्तुति को लिखने में मेरी योग्यता नहीं, हनुमान जी की कृपा कारगर जिन्हों ने मुझ से अपनी स्तुति लिखवायी और अपने विराट रूप का वर्णन करवाया
Arre wah Beta ji 👌🏼👌🏼👌🏼 you are a true soul for having written this beautiful poem/prayer and your thinking for your age is just far out👏🏼👏🏼👏🏼
ReplyDeleteMay God bless you with every success in life 🙌🏼💞 love you xoxox
अपनी इतनी स्नेह भरी शुभकामना के लिये आपका हृदय से आभार। अपना स्नेह व आशीष बनाये रखियेगा।
Deleteमैं बहुत ही भाग्यशाली हूँ कि मुझे आप सबों जैसे बड़े मील जो पग पग पर मुझे प्रोत्साहित करते हैं और आशीष देते हैं। मेरी सभी सफलताएँ इसी के परिणाम है।
Beautiful
ReplyDeleteवाह! हनुमान जी का अखंड आशीष आपको मिले। दिनकर के 'रश्मीरथि' में भगवान कृष्ण ने जब अपना विराट रूप दिखाया उसके वर्णन का स्मरण हो आया आपकी रचना पढ़कर।
ReplyDeleteअपने इस आशीष के लिए आपका हृदय से आभार। मुझे आपकी यह सुंदर प्रतिक्रिया पढ़ कर प्रसन्नता भी हुई और संकोच भी हुआ।प्रसन्नता इसीलिए क्योंकि मेरी रचना ने आपको मेरे आदर्श दिनकर जी का स्मरण कराया और संकोच इसीलिए की अभी मुझे इस स्तर तक पहुंचने में बहुत समय की मवड़ी रचना थोड़ी भी उनके निकट हो पाये ।
DeleteVery good poem. Very thoughtful thought. Keep on influencing people with such good thoughts. Well done beta
ReplyDeleteOho, aag laga dala!!!
ReplyDeleteJokes aside, the poem is so well structured and sort of musical. Fantastic work ananta. Best of luck
वाह , प्रिय अनंता , बहुत ओज है आपकी लेखनी में और आपको बहुत ज्ञान भी है अध्यात्मिक विषयों का | हनुमत बजरंगी पर इस रचना के लिए आपको बहुत शुभकामनाएं और प्यार |
ReplyDeleteआदरणीया मैम,
Deleteआपके प्यार भरे शब्द हमेशा ही मन में आनंद भर देते हैं। आपके स्नेह के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए तो मेरेपास सजबद नहीं है। आप ने मेरी हर एक कविता पढ़ी और प्रतिक्रिया दी।
आपका यही स्नेह और आशीष अमूल्य है। आती रहिएगा। आभार।
प्रिय अनंता आभार देना भी सीखिए |
ReplyDeleteजी, मैम। इस बार प्रतिक्रियाओं का उत्तर देने में बहुत देर लग गयी। परीक्षा के चलते ब्लॉग पर उतना समय नहीं दे रही थी। अब से ऐसा नहीं होगा। आपकी यह सीख हमेशा याद रखूंगी। आपकी छोटी सी डाँट खाके अच्छा बहुत लगा। आपका यह स्नेह और आशीष मिझे हमेशा ही मिलता रहे। धन्यवाद।
Deleteबोहोत ही अद्भुत कविता, हम भी हिंदी में लिखते हैं हमारे ब्लॉग पर भी जरूर आएं प्रेरणादायक सुविचार
ReplyDeleteआदरणीय सर ,
Deleteसब से पहले तो मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है और अपने मुझे अपने ब्लॉग पर निमंत्रित किया, इसके लिए आभार। पता नहीं कैसे आपकी टिप्पणी मेरे मेलबॉक्स तक आयी नहीं , सो मेरी नज़र में नहीं आयी। देर से उत्तर देने के लिए क्षमा।
प्रिय अनंता -- मेरे मेल
ReplyDeleterenu550@gmail.comपर मुझसे जुडो |
आदरणीया मैम,
Deleteबिलकुल, अभी लिखती हूँ।
अनुमति देने के लिए बहुत बहुत आभार।
Anantha, you are all rounder Sach mai.. itni sundar hindi h tumhari aur ye Kavita bht hi sundar likhi h✨️
ReplyDeleteप्रिय अनंता ,
ReplyDeleteफेसबुक के माध्यम से यहाँ आना हुआ । 2020 की रचना है ,जो मैंने नहीं पढ़ी थी । बहुत ओजपूर्ण रचना है ।
पढ़ते हुए मुझे बजरंगबली से ज्यादा कृष्ण याद आते रहे । ऐसा ही विराट रूप कौरवों की भरी सभा में शायद दिखाया हो , दिनकर जी की रचना में उसका ज़िक्र है ।
आपने विकराल रूप लिखा है । विकराल शब्द से कुछ भयानकता का आभास होता है विराट शब्द का प्रयोग ज्यादा उचित है । संघार शायद संहार सही शब्द है ।।
बेहतरीन रचना पढ़वाने के लिए आभार ।